Free Ration Update : अगर आप भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के लाभार्थी हैं तो आपक लिए बड़ी खबर है।, Free Ration : फ्री राशन पर बड़ा अपडेट! इस महीने से बंद हो जाएगा फ्री राशन.
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इस योजना को बंद करने की प्लानिंग शुरू
केंद्र सरकार अब Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana को बंद करने की प्लानिंग कर रही है। वित्त विभाग ने सरकार को इसके लिए सुझाव भी दिया है। दरअसल, COVID-19 काल में देश में गरीब परिवारों के आय यानि Income का साधन खत्म हो गया था। ऐसी स्थिति में सरकार ने Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana – PMGKAY के तहत मुफ्त राशन की सुविधा शुरू की थी, जो सितम्बर, 2022 के बाद बंद हो सकती है। वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले व्यय विभाग ने सरकार को यह सुझाव दिया है कि इस PMGKAY को सितम्बर, 2022 से आगे नहीं बढ़ाया जाए.
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क्या बताया वित्त विभाग ने
व्यय विभाग का ने बताया है की, ‘PMGKAY योजना देश पर वित्तीय बोझ बहुत ज्यादा बढ़ा रही है। यह देश की वित्तीय सेहत के लिए भी ठीक नहीं है। पिछले महीने पेट्रोल-डीजल पर ड्यूटी कम करने से करीब 1 लाख करोड़ रुपये का अधिक बोझ राजस्व पर पड़ा है अगर आगे PMGKAY योजना की राहत दी गई तो वित्तीय बोझ और बढ़ेगा। अब COVID-19 महामारी का प्रभाव कम हो गया है तो फ्री राशन योजना को बंद किया जा सकता है.’
सब्सिडी बढ़ा रही है बोझ
व्यय विभाग की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, COVID-19 महामारी के बाद से केंद्र सरकार ने खाद्य सब्सिडी पर बहुत ज्यादा खर्च किया है। इसके तहत फिलहाल भारत के लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन दिया जा रहा है। PMGKAY योजना से भले ही लोगों को राहत मिली है लेकिन सरकार के ऊपर बोझ बहुत ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे में व्यय विभाग का कहना है कि अगर इस योजना को और 6 महीने और बढ़ाया गया तो फूड सब्सिडी का बिल 80,000 करोड़ रुपये और बढ़कर करीब 3.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा. यह खर्चा केंद्रीय सरकार को बड़ी मुसीबत में डाल सकता है। बता दें की केंद्र सरकार ने इस साल मार्च, 2022 में इस PMGKAY को सितम्बर, 2022 तक बढ़ा दिया था। सरकार ने बजट में भी खाद्य सब्सिडी के लिए 2.07 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है।
कितना रहा राजकोषीय घाटा
गौरतलब है कि अगले बजट में देश का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) वित्त वर्ष 2022-23 में GDP का 6.7% रहने का अनुमान है इस पर व्यय विभाग ने बताया है कि यह ऐतिहासिक मानकों से बहुत अधिक है, जबकि राज्यों का राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत रह सकता है। यानी केंद्र सरकार के ऊपर पहले ही बहुत ज्यादा बोझ है, ऐसे में फ्री राशन को और एक्सटेंडेड करना घटक साबित हो सकता है।
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